Wednesday 9 May 2012


दोस्तों मेरा नाम sabbo है .मैं अपने मम्मी-पापा और एक बड़े भाई साथ सौरभ नगर कोलीनी में रहती हूँ. हमारा फ्लैट तीसरी मंजिल पर एकदम कोने पर है. दो साल पहले ही हमारी कालोनी बनी थी और यह अभी भी मुख्य शहर से बहुत दूर है। 

दो साल पाहले यहाँ जंगल और खेत थे. आज तक कालोनी को जाने के लिए पक्का रोड भी नहीं बन पाया है. रात के दस बजे के बाद चारों तरफ कोई आदमी दिखाई नहीं देता. कालोनी के बहुत से फ्लैट अभी भी खाली पड़े हैं. 
मेरे पापा रेलवे में गार्ड हैं और तीन दिन के बाद वापस घर आते हैं. मैंने कई बार छुप के देखा है कि घर आते ही कैसे वे मम्मी पे टूट के चोदते हैं. 
मेरा बड़ा भाई नरेश एम काम कर रहा है. उसकी शादी तय हो चुकी है लेकिन वह मेरी काया का दीवाना है. जब भी मैं नहाने जाती हूँ वह छुप के देखता है.
मैं 20 साल की हो चुकी हूँ और अकेले पिछले महीने ही तीन बार चुदा चुकी हूँ. लेकिन मम्मी को इसकी खबर नहीं है. मम्मी अगले साल मेरी भी शादी करवाना चाहती हैं. वे शादी के लिए जेवर और रुपया अपने लोकर में जमा करती रहती हैं. 
हमारी कालोनी में अक्सर लाईट भी चली जाती है. ऐसे में कालोनी के लोग घरों में भीतर ही बैठे रहते हैं। कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं है.
यह इसी साल दिसंबर की बात है. में अपनी मम्मी के साथ उनके कमरे में थी. मेरा भाई पढ़ कर अपने कमरे में सो गया था. तभी अचानक लाईट चली गयी.
रात के करीब ग्यारह बज चुके थे। मम्मी को जीने पर किसी के पैरों की आहट और बात करने की आवाज सुनाई दी. उन्होंने मुझे खिड़की से बाहर देखने को कहा. मुझे कोई भी दिखाई नहीं दिया. तभी किसी ने घर के दरवाजे पर जोर से दस्तक दी. 
मुझे लगा शायद पापा जल्दी घर आ गये हैं. मैं दरवाजा खोल ही रही थी कि तीन लोग दन्न से भीतर हाल में घुस आये. इसके पहले कि मम्मी मामला समझती, एक आदमी ने मम्मी के गाल पर जोर का चांटा मार दिया. 
मैं घबरा कर जीने के नीचे छुप गयी. हाल में होनेवाली घटना चुपचाप देखने लगी. 
तभी लाईट जैसे अचानक गयी थी वैसे ही अचानक आ भी गयी. मैंने देखा तीन लुटेरे हाथ में चाकू लेकर मम्मी को वश में किये हुए हैं. तीनों लुटेरों की आयु लगभग 25 से 30 साल के बीच की थी. एक ने मम्मी के गले पर चाकू रखा तो मम्मी ने पूछा तुम लोग कौन हो और क्या चाहते हो. 
वह बोला मादरचोद देखती नहीं हम कौन हैं. बड़ी भोली बनती है. हमें पता है तूने काफी माल जमा कर रखा है. ला साली लाकर की चाबी दे और सारा माल हमारे हवाले कर दे. वरना तुझे यहीं काट कर रख देंगे.
डर के मारे मम्मी ने सारे जेवर और रुपये उनको दे दिये. मम्मी रोने लगी तो एक ने दोबार मम्मी को ऐसा जोर का चांटा मारा की वह पलंग पर गिर गई. वे हाथ जोड़ कर बोलीं कि अब मेरे पास कुछ नहीं है. मुझे छोड़ दो. 
चाकूवाले ने दूसरे लुटेरे से कहा बल्लू मकान की ठीक से तलाशी ले. फिर उसने नोचा-चोथी करते हुए एक-एक करके मम्मी के सारे कपड़े उतार दिए. 
शर्म के मारे मम्मी ने अपनी चूत पर हाथ रखना चाहा तो चाकू वाले ने हाथ हटा दिया.
वह बोला- साली कहीं चूत में कुछ छुपा तो नहीं लिया है. उसने मम्मी की चूत में उंगली डाल कर देखा. फिर उनको पलंग पर गिरा उनपे चढ़ कर उनको चूमने लगा. 
बाकी दोनों लुटेरे घर में सब जगह तलाशी लेने लगे तो उन्हें मैं सीढियों के नीचे छुपी हुई मिला गयी. 
उनमे एक जोर से चिल्लाया-सत्तो माल मिल गया. बड़ा कीमती माल है।
मुझे अचानक समझ आ गया कि यह लुटेरे कौन थे. जिसे यह लोग सत्तो कह रहे थे मैं उसे जानती थी. उसका असली नाम सतीश था. वह कभी मेरे भाई के साथ पढ़ता था. सतीश को पहचानने के बाद मैं बाक़ी दोनों को भी जान गयी. जिसे यह लोग बल्लू कह रहे थे उसका नाम बलदेव था और तीसरा अजीत था। 
तीनों  अच्छे घर के लड़के थे लेकिन बुरी संगत में पड़ के ऐसे काम करने लगे थे। उन दोनों ने मुझे बालों से पकड़ कर सतीश के पास खींच लिया. 
सतीश मम्मी से बोला- हरामजादी झूठ  बोलती है कि अब कुछ नहीं है. यह माल क्या तेरी चूत से आ गया है?
आवाज सुन कर मेरा भाई जाग गया. तीनों ने उसे भी हाल में घसीट लिया और उसे पीटने लगे. मम्मी बोली तुम लोगों को जो लेना था वह ले चुके अब मेरे लड़के को क्यों मार रहे हो?
जब मम्मी गुस्से में गाली देने लगी तो अजीत बोला- रंडी तुझे अपने पर बड़ा प्यार है. अब जब तक तू अपने इसी लड़के से नहीं चुदवायेगी हम उसे पीटना नहीं छोड़ेंगे. उसे तेरे सामने ही यहीं काट कर fenk  देंगे. 
सतीश ने चाकू दिखा कर नरेश से कहा चल अपनी माँ की चुदाई कर. तुझे आज सचमुच का मादरचोद बनाए देते हैं।
उन्होंने नरेश के सारे कपड़े उतरवा दिए और मम्मी के ऊपर चढ़ा दिया. शर्म के मारे नरेश का लंड खड़ा नहीं हो रहा था.
अजीत बोला-साले लंड जल्दी तय्यार कर, नहीं लंड काट कर तेरी माँ की चूत में घुसा देंगे. फिर लंड के बिना हिजड़ों में डोलता रहेगा. 
मम्मी घबरा गयीं. खड़ा करने के लिए खुद ही नरेश का लंड चूसने लगी. 
ऐसी हाल में अब मुझे नरेश का लंड बड़ा प्यारा लगने लगा था. लुटेरों का परिचय पाकर मेरा भय दूर हो गया था. लेकिन नरेश झिझक रहा था और अपना लंड मम्मी की चूत में नहीं घुसा रहा था. 
यह देख कर मम्मी ने कहा बेटा यह लोग जैसा कहें वैसा करो. मुझे चोदने में में कैसी शर्म. आजा बेटा जल्दी से लंड अन्दर घुसा दे और अपनी माँ की इज्जत बचाले. अगर तू नहीं चोदेगा तो ये मुझे चोदेंगे  और मैं इनसे चुदवाना नहीं चाहती.
इतना सुनते ही नरेश का लंड फनफनाने लगा. उसने अपना लंड अपने हाथ में लेकर मम्मी की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड मम्मी की चूत में घुसा दिया. मम्मी का समर्थन पाकर वह जोरों से भीतर की ओर धक्के भी मारने लगा.
मम्मी जोर जोर से ओह-ओह, उई-उई करने लगी. 
सतीश बोला- यार यह माँ बेटे की चुदायी देख कर अपना लंड भी खड़ा हो गया है. 
मम्मी को मेरे सामने चुदवाने में कोई शर्म नही आ रही थी. वह तो नरेश के लंड का स्वाद ले रही थी. देख कर साफ पता चल रहा था कि उसे जवान बेटे से चुदाने में बड़ा मजा आ रहा था.
मम्मी को धन के लुटने का कोई दुःख दिखाई नहीं दे रहा था. वह नरेश के हरेक धक्के पर अपनी कमर उछाल रही थी. 
तभी अजित ने आगे बढ़ के अपना लंड मम्मी के मुंह में दे दिया तो वे उसे भी बड़े प्यार से चूसने लगीं. 
जब नरेश थोड़ा ढीला पड़ा तो मम्मी ने अजित का लंड चूसना छोड़ दिया और नरेश से कहने लगी-तुम तो मेरे बेटे हो. लेकिन बहुत दिनों से मेरा मन तुम पर आ रहा था. मेरे जवान भाइयों ने मुझे खूब चोदा है. लेकिन आज तक मुझे ऐसे में किसी ने नहीं चोदा. तुम दोगुनू ताकत से धक्के मारो. तुमने जितना मेरा दूध पीया है उतना ही अपने लंड का रस मेरी चूत में डाल दो।
यह देख-सुन कर खुद मेरी चूत गीली हो रही थी. काफी देर तक चुदाई करने के बाद नरेश ने अपना वीर्य मम्मी की चूत में डाल दिया.
वीर्य चूत से बाहर आ रहा था. यह देख कर सतीश ने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुंह मम्मी की चूत पर रख दिया और बोला-साली देखती क्या है, जल्दी से चूत का सारा रस चाट ले. क्या तझे अपने भाई के लंड का और माँ की चूत का रस पसंद नहीं है. पी ले पी ले. इससे तुझे हमारे लंड झेलने की ताकत मिल जाएगी.  हमारे लंड लेने में दर्द नहीं होगा। अब तेरी बारी है. बता, पहले किसका लंड लेगी? 
तीनों ने तुरंत ही अपने लंड मेरे सामने निकाल कर दिखाए. 
सभी लंड काफी बड़े थे. मेरे समझ में नही रहा था कि मैं कौन सा लंड लूँ. 
मैं माँ की तरफ देखने लगी.
माँ ने भी तीनों लंड देखे और लुटेरों से बोली- तुम लोग खुद तय करो. लेकिन समझ लो मेरी लड़की ने अभी तक लंड का स्वाद नहीं लिया है. 
अजीत बोला- यह तो और अच्छी बात है. आज आपके सामने ही आपकी लड़की की चूत का उदघाटन होगा. आपकी लड़की किस्मतवाली है. एक साथ तीन लोगों से सुहागरात मना रही है. भविष्य में उसे लंड लेने में कोई तकलीफ नहीं होगी. हम पहले सबसे बड़े लंड से चूत की सील तोड़ेंगे. तुम उसे हिम्मत दिलाना की वह लंड बर्दाश्त कर ले।
मम्मी ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल कर उसे चिकनी कर दी और बोली-बेटा हरेक लड़की को एक न एक दिन लंड लेना ही पड़ता है. मुझे भी पहली बार कुछ दर्द हुआ था, लेकिन आज मैं हरेक तरह के लंड आराम से ले सकती हूँ. 
औरत की जिन्दगी तो चुदवाने के लिए होती है. चाहे उसका पति चोदे या कोई और. इसलिए तू आराम से चुदवाले. मैं तेरे पास रहूँगी और तेरी चूत फैलाती रहूँगी ताकि लंड के लिए जगह बनती रहे।
मम्मी के समझाने पर मैं तैयार हो गयी और टांगें फैला कर पलंग पर लेट गयी. अजित का लंड सबसे बड़ा करीब ८ इंच का था. 
उसने अपने लंड का सुपारा चूत के छेद पर रखा और धीमे-धीमे घुसाने लगा. 
जब आधा लंड अन्दर चला गया तो मम्मी बोली- पूनम शाबाश. हिम्मत रखो. 
अजीत ने लंड थोड़ा सा बाहर निकला और एक जोरदार धक्का मारा. लंड चूत को फाड़ते हुए पूरा अन्दर चला गया. 
मैं जोर से चिल्लाई -मम्मी बचाओ मेरी चूत फट रही है. यह लंड बहुत बड़ा है.
मम्मी बोली धीरज रखो आगे से अब ये छोटे लंड से तुम्हारी चुदायी करेंगे. 
मेरी चूत से अब पानी आने लगा था और अजीत लगातार धक्के मार रहा था. 
मम्मी भी अपनी चूत में उंगली कर रही थी और मजे ले रही थी. उधर नरेश का लंड भी दोबारा खड़ा हो गया था तो मम्मी ने उसे फिर अपने ऊपर चढ़ा लिया. 
कोई दस मिनट के बाद मुझे भी मजा आने लगा. चूत से फचाफच की आवाज आने लगी।
मम्मी बोली पूनम अब तुम चुदवाने के लिए काबिल हो गयी और मेरी तरह रोज चुदवाया करोगी।
बाद में दोनों बाक़ी लड़कों ने भी मेरी जम कर चुदाई की और मम्मी की दोबारा गांड मारी. लगातार कई बार चुदने के कारण मेरी चूत सूज गयी थी और दुखने भी लगी थी. लेकिन मुझे इतना मजा आया था कि मैं और भी चुदाने को तैयार थी. एक बार भाई से भी.
एक ही झटके में हम सभी की सेक्स के बारे में झिझक और शर्म दूर हो गयी. मैं सोचने लगी की अब मैं जब चाहे खुलेआम जिससे चाहे चुदवा लुंगी.
सतीश मेरे भाई से बोला तुम भी पूमम की सील टूटी चूत का मजा ले लो. ऐसा मौक़ा तुम्हे फिर जाने कब  मिलेगा. 
मम्मी बेशर्मी से बोली- बेटा फिर बहिन के आगे अपनी माँ को नहीं भूल जाना. मुझे भी अपना लंड देते रहना. तुम्हारा जवान लंड है. अब तुम्हारे पापा के लंड में मेरी चूत की प्यास बुझाने की ताकत नहीं रही. 
जाते-जाते तीनो लुटेरों ने सारे जेवर और रुपये वापस कर दिये और बोले- आंटी आपने और पूनम ने बड़ा मजा दिया. जब भी हमारे लंड की जरूरत हो याद कर लेना.
अजीत बोला- पूनम की चूत बड़ी मस्त है. काश मेरी शादी पूमम से हो जाती।
मम्मी ने पूछा- बोलो पूनम तुम्हें अजीत का का लंड कैसा लगा. तुम अजीत से शादी करोगी? 
मैंने अजित के लंड का ध्यान किया. दमदार था. मैं तैयार हो गयी. 
आज मैं अजीत की पत्नी हूँ और अजीत से रोज चुदती हूँ. कभी-कभी भाई नरेश भी मुझे चोद लेता है.
बाक़ी और लोग भी कभी मुझे और कभी मेरी मम्मी की चुदायी करने आते-जाते रहते हैं। अजित को कोई आपत्ति नहीं होती. उसे बदले में खर्च करने को काफी पैसे मिल जाते हैं. 
वह भी जब मन होता है मेरी मम्मी को भी चोद लेता है. चारो तरफ सर्वानन्द है. कोई कभी भी जो राजी हो जाये उसे चोद ले. किसी के सामने भी. कोई परवाह नहीं करता.
कभी आप भी आओ न! हम पैसे नहीं मांगते. जो दे जाओगे, चलेगा.

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