Monday 6 February 2012

muh me lo to malum pade

मुंह में लो तो पता पड़े

मेरा नाम कमल है और मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कसबे में मेडिकल प्रक्टिस करता हूँ.
बाल-बच्चेदार हूँ और मेरी सुन्दर पत्नी मुझे खूब प्यार भी करती है.
फिर भी मेडिकल प्रक्टिस की दुनिया ही ऐसी है कि इसमें सेक्स की भूखी लड़कियां, खासकर औरतें, टकराती ही रहती हैं. कई बार ऐसा होता है कि वे मुझसे चुदाना चाहती हैं. तो मौका देखके मैं उन्हें चोद भी देता हूँ. इससे मेरी इलाके में थोड़ी बदनामी भी हो गयी है. लेकिन ताज्जुब कि मेरी प्रक्टिस पे कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. उलटे मस्तानियों में मेरी डिमांड बढ़ गयी है. वे बहुत दूर-दूर से आती हैं और मनमाफिक इलाज कराती रहती हैं.
रेहाना भी एक ऐसी ही औरत थी. उसके हुश्न के जलवे इलाके में प्रसिद्ध थे. इसलिए लोग उसे रसीली रेहाना भी कहते थे. उसका उमरदराज पति गेंहूँ पीसने की चक्की चलाता था. लेकिन वह अपनी लुगाई की सेक्सी प्यास को नहीं पीस पाता था. इस वजह से उसके घर में आये दिनों किच-किच होती रहती थी.
धीरे-धीरे वही हुआ जो होता आया है.
रेहाना के इश्क में गिरफ्तार होने के लिए पहले से ही जाने कितने आशिक  डोल रहे थे. पति से बेकाबू रेहाना ने उन्हें लिफ्ट देना शुरू किया.
चतुर रेहाना ने ऐरे-गैरों के बजाय दबंगों का लंड पकड़ा. इससे उसे कई फायदे हुए. एक तो घर का आदमी भी दब के रहने लगा. दूसरे, छोटे-मोटों की हिम्मत नहीं पड़ती थी की उससे पंगा लें. वह ऐसी दीवानी निकली कि दिन-दहाड़े जब जँच जाता अपने आदमी को चक्की चलाता छोड़ यारों के संग कमरे में सांकल ठोक लेती.
ऐसा ही एक दबंग रघुनाथ चौधरी था.
वह रेहाना को कभी भी अपने खेत पर बुला लेता था. कभी-कभी रात को भी रोक लेता था. गाँव में चर्चा थी कि रेहाना से पैदा हुई एक प्यारी सी लड़की असल में चौधरी की ही औलाद थी. वह रेहाना को अपनी लुगाई की तरह रखते हुए घंटों उसकी चुदाई करता था.
एक बार रघुनाथ ने मुझे रेहाना के इलाज के लिए अपने खेत पर ही बुला लिया. घर पे मरीज देखने तो मैं दूसरों के भी जाता था फिर रघुनाथ के क्यों नहीं जाता?
रघुनाथ ने खेत पर ही दो बेडरूम का बड़ा ही सुन्दर मकान बना रखा था. लेकिन अपने बीबी-बच्चों को वह गाँव की हवेली में ही रखता था.
मैं पंहुचा तो वहां उसका नौकर बाहर काम में लग रहा था और रघुनाथ-रेहाना भीतर थे.
राम-श्यामा हो ले के बाद रघुनाथ ने बताया कि पिछले कई दिनों से रेहाना के पेट में तकलीफ है. बहुत जोरों का दर्द हो रहा है. 
'डाक्टर, तुम अच्छी तरह उसे देख लो और पक्का प्रबंध कर दो.'-- रघुनाथ बोला और उठ कर बाहर चला गया. 
मैंने रेहाना की तरफ नजर डाली. अपने करीब आठ साल के मेडिकल प्रक्टिस के अनुभव से मुझे एक बार में ही दिख गया कि रेहाना की बीमारी पेट में नहीं बल्कि पेट के नीचेवाले हिस्से में है.
वह पूरी तरह से बिगड़ गयी थी. उसकी आँखों से एक मदहोश कर देनेवाला बुलावा साफ दीख रहा था और अब रघुनाथ जैसों का लंड भी उसे कम पड़ रहा था.
चेक-अप कराने के लिए वह दीवाल के सहारे लग रहे एक बेड पर लेट गयी. उसने सलवार-सूट पहन रखा था. लेटने के बाद चुन्नी को उसने अपनी गुदाज छातियों पर से हटा लिया.
मैंने पूछा कि दर्द कहाँ होता है तो उसने पेट के निचले हिस्से पर हाथ रखते हुए कहा- यहाँ मेरे पेडू में अक्सर तकलीफ रहती है. लेकिन पता नहीं ठीक कहाँ दर्द होता है.
मैंने पेट को जांचने की नीयत से उसके समीज को थोड़ा ऊपर सीने की तरफ हटा दिया. फिर टुंडी से थोड़ा नीचे अपनी उँगलियों को रखते हुए जांचना चाहा. रेहाना ने तुरत ही सलवार को थोड़ा नीचे सरका दिया. 
बोली-- और नीचे. जरा और नीचे को देखना डाक्टर साहब.
डाक्टर साहब ने रेहाना जैसी न जाने कितनी पहले ही देख रखी थी. मुझे दीख गया की रेहाना को मतलब चुदवाने से है. पेट का दर्द तो मुझे बुलवाने का बहाना है.
मैंने गौर किया रेहाना ने अपनी सलवार के नाड़े को पहले से ही ढीला बांध रखा था. इतना ही नहीं, जब उसने सलवार नीचा किया तो साथ में अपनी पैन्टीज को भी नीचे खींच ले गयी. अब पेट की क्या चले, चूत भी एक झलक दिखाने को मचल रही थी. मुझे पता था अब क्या करना चाहिए.
मैंने बिना बिलम्ब किये उसकी चूत के मुहाने पर अपनी बीच की उंगली रख दी. यही वह जगह है जहाँ लगभग सौ फ़ीसदी जनानी हाथ रखते ही पानी छोड़ने लगती हैं.
अंग्रेजी में इसे क्लिटोरिस कहते हैं. लेकिन हमारे अपने लोगों में इसे चुतघुंडी के नाम से जानते हैं.
उंगली के छूते ही रेहाना तुरत मजे के मारे तन गयी. उसने ऐंठ के मेरी तरफ करवट सा लेना शुरू कर दिया. मेरे सीधे हाथ की बाजू को उसने अपनी दोनों हथेलियों से पकड़ लिया. मुझे डर लगने लगा की कहीं वह मुझसे लिपट ही नहीं जाये. मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई. मजा  तो मुझे भी आ रहा था. मेरी उँगलियाँ अब रेहाना की चुतघुंडी  को धीरे-धीरे रगड़ रही थीं और उसे बहुत मस्ती आ रही थी.
रेहाना की अनुकूल प्रतिक्रिया देख कर मैंने एक उंगली उसके चूत में भीतर तक घुसा दी. फिर दो और फिर तीन उँगलियाँ एक साथ मिला के लंड के बराबर की मोटाई बनाते हुए उसके चूत में डाल के चोदने लगा.  
सी-सी करते हुए रेहाना अब तड़पने लगी थी. उसने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ने की चेष्टा की. मैं सन्नाटे में आ गया. मुझे चिंता हुई कहीं चौधरी अचानक आ नहीं जाये.
मैंने उसकी चूत से अपनी उंगलियाँ निकाल लीं. मेरा चेहरा लाल हो रहा था.
मैं बोला-अगर चौधरी ने देख लिया तो?
रेहाना मुस्करा के बोली- 'उसे सब पता है. उसे मैंने कह दिया है कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. चौधरी को गाँव और आसपास के लोग बड़ा भारी मर्द समझते हैं. लेकिन उसके लंड में उतना जोर नहीं हैं, जितना की शायद तुम भी समझते हो.' 
रेहाना ने कहते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को चूम के वापस मुझे पीछे धकेल दिया.
मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था. मैंने ठान लिया कि अब इस मस्तानी को तो चोद के ही जाना है. मैंने अपने पैंट की जिप खोलना शुरू कर दिया. चड्ढी से निकलते ही मेरा लंड अपनी पूरी रवानी दिखाता अपनी नीयत का इजहार करने लगा.
मैं रेहाना के बेड से लग कर खड़ा था. मेरे लंड को देखते ही रेहाना बैठी हो गयी और मुस्कराते हुए अपनी दाहिनी  हथेली में उसे पकड़ लिया. बोली- समझदार हो!
मैंने उसके सिर के पीछे हाथ लगाते हुए कहा- इसे मुंह में लो तो पता पड़े.
रेहाना बोली- ऐसे नहीं. कपड़े उतारो. तुम्हारा आधा लंड तो तुम्हारी पैंट-चड्ढी में ही उलझा है. चौधरी की चिंता मत करो. वह अभी नहीं आ रहा.
जब तक मैं अपनी पैंट उतारता, रेहाना ने अपनी सलवार उतार दी. फिर उसने समीज भी उतार फेंकी. ओह, क्या कयामती काया थी!
मैं अपने आपको बड़ा चुदक्कड़ मानता हूँ. लेकिन जिंदगी में मैंने ऐसी कसी हुयी काया पहले कभी नहीं देखी थी.
रेहाना ने अपनी पीठ मेरी तरफ करते हुए कहा- 'चौधरी शाम तक नहीं आएगा. मेरी ब्रा खोलो और घबड़ाना बंद करो. मैं पूरे इलाके में बदनाम तो हो ही गयी हूँ, अब मुझे जी भर के ऐश कर लेने दो.'
ब्रा हटा लेने के बाद भी रेहाना के मस्त बूब वैसे-के-वैसे तने रहे. मैंने उन्हें अपनी हथेलियों में ले लिया और उसके होठों को चूसने लगा. रेहाना भी बराबर का साथ दे रही थी. उसे होठों को चूसने की कई अदाएं मालूम थीं. वह कभी मेरे निचले होठ को अपने होठों से दबाती और कभी दातों से हौले से काटती. ऐसा ही कभी-कभी वह ऊपरी होठों के साथ भी करती. मुझे मन जाना पड़ा कि अब तक किसी ने भी मुझे इतना सेक्सी किस कभी नहीं किया.
थोड़ी देर बाद वह अपने घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड पूरी तरह से अपने मुंह में ले लिया. वह बहुत ही अनुभवी हो गयी थी. लाज-शर्म की कोई अड़चन कहीं भी नहीं दीख रही थी. उसने आदेश दिया कि मैं अपना माल उसके मुंह में निकालूँ. फिर वह मुंह से मेरे लंड पर टूट सी पड़ी. उसने अपने होठों, जीभ और उंगलियों से ऐसे-ऐसे करतब करे कि मैं पिचकारी की तरह उसके मुंह में ही छूट पड़ा.
सारा माल पी जाने के बाद अपनी जीभ अपने होठों पर फिराते वह बिस्तर पर वापस लेट गयी और मुझे आदेश देने के स्टाईल में कहा- अब तुम मेरी चूत को चाटो.
मुझे उसका आदेश देना थोड़ा अटपटा लगा. अब तक तो उलटे मुझे हसीनों को मनाना पड़ता था. आज हसीना खुद मेरे दिल की मुराद पूरी कर रही है. मैंने अपने दोनों हाथो से उसकी दोनों जंघाएँ पकड़ ली और जीभ को उसकी चूत में डालने लगा.
रेहाना बोली- पूरी जीभ भीतर मत डालो. बस बाहर मेरी चुतघुंडी पर ध्यान दो. मैं जानती हूँ तुम बड़े कमाल की चुसाई करते हो. मेरी सहेली सलमा ने बताया था. तुम उसकी कई बार चुदाई कर चुके हो.
मेरे होश से उड़ गए. मैं जान गया रेहाना खतरनाक लड़की है. जाने इसने क्या षड़यंत्र रच रखा है. इससे पंगा लेना ठीक नहीं. तभी तो चौधरी जैसा दबंग भी उसे अपने ही घर में मेरे संग छोड़ के गया है.
मैंने पानी की थाह लेने का मन बनाया. बोला- और मैं न करूँ तो?
रेहाना बोली- पहले वह कर लो जो कर रहे हो. बाद में बताउंगी कि क्यों मना करना तुम्हारे लिए संभव नहीं है.
मेरा लंड ठंडा पड़ गया था. तो क्या मुझे ब्लैकमेल भी किया जा सकता है?
रेहाना ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे बिस्तर पर पटक लिया और 69 कि मुद्रा में मेरे ऊपर चढ़ गयी. उसने मेरा मरा सा लंड अपनी मुंह में ले लिया चूसने लगी. मैंने सारी चिताएं छोड़ दीं. मैंने सोचा-जो होना है सो तो अब होगा ही. अब पहले इस रांड कि चूत को तो फाड़ लूँ.
मैंने रेहाना के दोनों कूल्हे अपनी हथेलियों में ले लिए और उसकी चूत को अपनी करामाती जीभ के हवाले कर दिया. अचानक हुए इस परिवर्तन से रेहाना उछल पड़ी और मजे की सिसकारियां भरने लगी. एक बार तो उसने मेरा लंड छोड़ दिया और मेरे मुंह पर अपने घुटनों के बल बैठी सी हो गयी. मेरा भी मूड फिर बनने लगा था. मेरा लंड भी अब पूरी तरह से खड़ा था.
मैंने रोशनी को बगल में धकेल के हटाया और उसे कुतिया सी बना के पीछे से उसकी चूत में अपने तने हुए लंड को डाल दिया. मैं गुस्से में था इसलिए पूरी ताकत से उसे धक्के मार-मार के चोदने लगा. मैं जितना ही जोर लगाता वह उतना ही मजे के मारे मतवाली होती. वह जोर-जोर से चिल्ला के और जोर लगाने की कह रही थी. मैं एक बार उसके मुंह में झड़ चुका था. इसलिए अब दुबारा अब जल्दी झड़ने की गुंजाइश नहीं थी. लेकिन वह हत्यारी भी कहाँ कम पड़ रही थी. वह तो और जोर से चुदाई मांग रही थी.
'जोर से, और जोर से चोदो मुझे, और जोर से'- रेहाना मजे के मारे चीख रही थी.
मैंने अब अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसे पीठ के बल पटक के उसके दोनों पैरों को अपनी बाजुओं में लेकर उसे चोदने लगा. दिक्कत सी आई तो मैंने पैरो को छोड़ दिया और उसके ऊपर लेट गया. लेकिन रेहाना पहले की तरह ही अपने पैरों को मेरे दोनों तरफ फैला के पड़ी रही. उसे पता था कि कैसे मेरा लंड उसकी चूत में पूरी तरह घुसेगा. वह पूरी अनुभवी चुदक्कड़ थी.
कोई दस मिनट तक जोरदार तरीके से रगड़े जाने के बाद वह जाके नरम सी पड़नी शुरू हुई. फिर भी बोली-निकाल निकाल के फिर-फिर से घुसाओ. मुझे मजा आता है.
मैं भी पूरे मजे ले रहा था. बोला- वैसे ही घुसाऊँगा मेरी चुद्दो. पहले एक बार ऐसे ही चुद तो लो.
रेहाना की मन की बात पूरी होने से पहले ही उसका पानी निकल गया. मेरे लंड के झटकों ने उसकी कलाकारियों को फेल कर दिया था.
उसने अपनी बाजुओं में मुझे जोरों से पकड़ते हुए एक चीख मारी -अरे मर गयी राजू. मर गयी!
लेकिन अभी मैं थोड़े ही मरा था. मैं वैसे ही झटके देते रहा. रेहाना को अब दर्द होने लगा था. सो दुहाईयाँ देने लगी- 'अरे जल्दी निकाल डाक्टर, जल्दी निकाल. मेरी जान लेगा क्या?'
मुझे उसकी जान तो क्या लेनी थी, बस मजे करना था तो मैं करता रहा. थोड़ी देर में मैं भी झड़ने लगा तो एक बार फिर पूरी ताकत लगा के मैंने उसके भीतर तक अपने लंड को डाल दिया और पिचकारी छोड़ दी.
थक तो मैं भी गया था. थोड़ी देर तक मैं उसके ऊपर ही निढाल होके पड़ा रहा. फिर खड़े होके सफाई करी. रेहाना  वैसे ही बिस्तर में पड़ी-पड़ी मुझे देखे जा रही थी. जब मैंने कपड़े पहनने की तैयारी करी तो उसने इशारा कर के रोक दिया.
फिर आगे की तरफ झुक कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे चूमते हुए बोली- 'अभी नहीं. अभी ऐसे ही रहो. अभी एक बार और चुदाई करेंगें.'

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