Wednesday 25 January 2012

padosan ki chudai


Padosan ke maje liye.

जब मैं बी. कॉम प्रथम वर्ष में पढ़ता था। मेरे पड़ोस में एक दम्पत्ति
रहने आया। उनकी शादी हुए चार-पाँच साल ही हुए थे। मेरा उनसे मेल-जोल होने
लगा। मैं उनको भैया और भाभी कहता था। मेरा उनके घर आना-जाना शुरू हो गया
एक बार भैया ने रात को दस बजे मुझे फोन किया कि मैं उनके घर आउँ। मैं
तुरन्त उनके घर गया तो भैया ने कहा उनको बस-स्टैण्ड जाना है, उनको रात को
किसी ज़रूरी काम से दिल्ली जाना था। भैया ने कहा कि तुम्हारी भाभी को डर
लगता है इसलिए हो सके तो तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना।
मैंने कहा - ठीक है।
मैं आधे घण्टे में उनको बस-स्टैण्ड पहुँचा कर वापस भाभी के पास गया।
भैया की माँ भी उस दिन बाहर गई हुईं थीं।
भाभी को मैंने कहा कि वो अन्दर बेडरूम में सो जाये, मैं बाहर ड्राईंगरूम
में सो जाता हूँ। भाभी ने कहा कि ठीक है। भाभी ने मुझे जान-बूझकर पतली सी
चादर दी ताकि मुझे ठंड लग जाए। करीब आधे घण्टे में वो पानी पीने के लिए
बाहर आई तो मैं ठण्ड से सिकुड़ रहा था। भाभी ने कहा कि ठण्ड लग रही है तो
अन्दर सो जाओ। मैं तैयार हो गया। अन्दर केवल एक डबल बेड पलंग था। भाभी ने
कहा कि यहीं सो जाओ। मैं थोड़ा सकुचाया। फिर मैं भी वहीं सो गया। करीब
आधे घण्टे बाद मैंने पाया कि भाभी की एक टाँग मेरी टाँगों पर आकर लगी।
टाँग पर से साड़ी ऊपर हो गई थी और भाभी की गोरी-गोरी मादक जाँघें मुझे
मखमल की तरह लग रही थीं। मैंने भी धीरे से अपनी टाँग भाभी की टाँगों पर
रख दीं। मेरे आठ इंच का मूसल खड़ा होने लगा। मैंने धीरे-धीरे टाँगों को
रगड़ना शुरू किया तो भाभी ने भी जवाब दिया। मुझे हरी झंडी मिल गई।
फिर धीरे-धीरे मैं भाभी के पास आता गया और मैंने भाभी की चूचियों पर अपना
हाथ रख दिया तो भाभी सोने का नाटक करने लगी। अब मैंने भाभी की मादक,
रसीली और भरी-भरी चूचियों को हल्के-हल्के दबाना शुरू किया। अचानक भाभी
जाग गईं और कहने लगीं कि ये तुम क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि मुझे नींद
में पता नहीं चला, सॉरी। मैं उठकर बाहर सोने के लिए जाने लगा तो भाभी ने
कहा नहीं यहीं सोना है।
भाभी ने मुझे एक भद्दी सी गाली मादरचोद कहा और कहा कि लण्ड खड़ा करने की
हिम्मत है पर डालने की नहीं। मैंने भाभी से कहा कि लण्ड तो आपने ही खड़ा
किया था। भाभी हँसने लगीं। भाभी उठीं और रसोई से जाकर गरमा-गरम दूध लेकर
आईं, फिर हमने दूध पिया। फिर कहा कि सर्दी बहुत है, मैंने कहा कि अभी
सर्दी भगा देता हूँ।
भाभी बोली- तो देर क्यो कर रहे हो।
मैंने भाभी को पलंग पर ही पटक दिया और उनकी साड़ी को ऊपर कर दिया और उनकी
पैण्टी में हाथ डाल दिया। अचानक मुझे लगा कि जैसे कि मैंने कोई भट्ठी में
हाथ डाल दिया है। मैंने भाभी की फूली हुई ब्रेड की माफ़िक रसीली चूत को
मसलना शुरू किया। भाभी आआआआआ... आआआआ... श्श्श्श्शस्स्स्स्ससी
श्सस्स्स्सी... करने लगी। फिर मैंने भाभी की ब्लाउज़ खोल दी और उसकी
चूचियों को दबाना शुरू किया। मैंने भाभी के पूरे बदन को अपनी जीभ और
होठों से चूमा। फिर मैंने बाभी की चूत पर अपनी जीभ फेरनी शुरू की। भाभी
का पूरा शरीर अकड़ने लगा और अचानक ही उनकी चूत से कुछ रस बहने लगा।
मैंने भाभी से पूछा- ये क्या है?
भाभी ने कहा- मादरचोद, गाण्डू, चाट इसको।
मैंने रस को चाटा तो काफी गरम और टेस्टी था। भाभी ने अब मेरे मूसल को हाथ
में लेकर मुट्ठ मारनी शुरू कर दी, थोड़ी देर में मुझे लगा कि अब मेरा रस
निकलने वाला है तो मैंने भाभी को कहा कि मेरा निकलने वाला है तो भाभी ने
उसको अपने मुँह में लिया और सारा रस पी गई।
१५ मिनट के बाद लण्ड फिर से खड़ा होने लगा क्योंकि भाभी अपनी चूत के बाल
साफ कर रही थीं, और मैं उनको देख रहा था, मैंने भाभी से पूछा - कि भाभी
आप तैयार हो? तो भाभी ने कहा- मेरे चोदू, जा ! चोद दे !
मैं सीधे ही भाभी के ऊपर चढ़ गया और अपना इंच का मूसल उसकी चूत में डाल
दिया, मूसल जाते ही भाभी दर्द के मारे छटपटाने लगी और बोली, भड़वे, लण्ड
है कि मूसल है। भाभी की चूत काफी टाईट थी, मुझे अन्दर-बाहर करने में मज़ा
रहा था। मैंने भाभी से इसका राज पूछा तो वह बोली कि जब तक किसी चीज़ को
काम में नहीं लाओ तो वह नई-नई ही रहती है। मैं सारा माज़रा समझ गया।
मैंने भाभी की चूत को और तेज़ी से चोदने लगा, फिर १५ मिनट बाद में, मैंने
भाभी को घोड़ी बनाया और भाभी की चूत में पीछे से लण्ड डाल दिया और चोदने
लगा, बाभी का माँसल बदन और मेरे शरीर की टकराहट से कमरे में फच्च फच्च
फच्च... की आवाज़ें आने लगीं।
भाभी लगातार शस्स्स्स्सी.... श्स्स्स्सी.... उई... उई... अह्ह्ह्हहा....
अह्ह्ह्हाहा की आवाज़ें निकाल रही थी। भाभी अब ज़ोर ज़ोर से धक्के लेने
लगी, मैंने भी गति बढ़ा दी। भाभी बोली- साले, बहनचोद, और ज़ोर से चोद,
मेरी चूत फाड़ डाल !
मैंने भाभी को कहा, हरामज़ादी, साली, कुत्ती, तेरी चूत का तो मैं औज
फौलाद बना ही डालूँगा। यह कहते-कहते भाभी का रस निकल गया और थोड़ी देर
बाद में मेरा भी। हमने एक दूसरे को साफ किया और सो गये। सुबह बजे में
मैंने भाभी को एक बार फिर से चोदा। चुदाई के बाद भाभी ने चाय बनाई, मैंने
चाय पीकर भाभी को किस किया और पूछा- "रात को सर्दी तो नहीं लगी?" तो भाभी
मुस्कुराने लगी।

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